Priyanka Verma

Add To collaction

लेखनी प्रतियोगिता - खुशी की इच्छाशक्ति

खुशी की इच्छाशक्ति


खुशी, सांवली सी एक लड़की थी,
जो थी हर तरह से होशियार,
आगे बढ़ने के सपने बुना करती थी,
छोटी उम्र से ही, थी वो समझदार,

बचपन से ही महसूस किया था उसने,
भेदभाव अपने और भाई के बीच,
हर सुनहरे अवसर को,
हाथों से उसके लिया गया था खींच,
जैसे तैसे चोरी चुपके,
किया करती थी पढ़ने की कोशिश,

वर्णों से अक्षर, अक्षरों से शब्द,
शब्दों को लिखने की कोशिश,

जाने कब बचपन बीता,
आई नवयौवन की बहार,
पर खुशियों ने शायद,
जिंदगी में आने से उसकी,
कर दिया इनकार,

माता पिता ने बोझ समझ,
बांध दिया उसे,एक अनचाहे रिश्ते में
आने वाली चुनौतियों को देख,
आंसू छलक आए,उसकी मृगनयनी आंखो में,

जैसे तैसे चल रही थी,जिंदगी की गाड़ी,
अचानक उसपर आ पड़ी, एक विपदा भारी
सिंदूर मांग से छूट गया,
मानो सारा ज़माना रूठ गया,

घर से कब बेघर हुई,
उसे समझ ना आया था,
फिर उसने एक बार,
खुद को अकेला और बेसहारा पाया था,

मगर इस बार उसने कुछ और ही ठाना था,
अब अपनी ज़िंदगी में उसे,
कुछ नया कर के दिखाना था,

शुरू किया उसने, मुश्किलों भरा नया सफर,
चौका बर्तन कर, करने लगी वो गुजर बसर,
दिन महीनों में, महीने कब साल बने,
उसकी उम्मीद के दिए,
एक बार नही, कई बार बुझे,

पर, पढ़ने की ललक को, उसने
अपने भीतर जलाए रखा,
अपनी इच्छाशक्ति को ,
बहुत मजबूत बनाए रखा,

धीरे धीरे,जो कुछ सीखा था उसने,
समझ से उतारने लगी, अपने जीवन में
अपनी होशियारी से अब,
सब बदलना था, उसे स्वयं में,

बचाए हुए पैसों से उसने,
शुरू किया, छोटा सा व्यापार,
एक सिलाई मशीन से,
बदल दिया अपना संसार,

अपनी मेहनत और इच्छाशक्ति के दम पर,
बदली थी उसने अपनी किस्मत की रेखा,
अपनी आंखों पर विश्वास, नहीं हुआ उन्हें,
जिन्होंने उसे नए रूप में देखा,

खुशी, आज चलाती है,
अपना लाखों का कारोबार,
खींच ही लाई थी वो, सारी खुशियां,
जिन्होंने किया था,
उसके जीवन में आने से इंकार।।

प्रियंका वर्मा
12/10/22

   20
9 Comments

Suryansh

16-Oct-2022 06:48 PM

बेहतरीन

Reply

Ajay Tiwari

13-Oct-2022 08:56 AM

Very nice

Reply

Gunjan Kamal

13-Oct-2022 08:40 AM

बहुत खूब

Reply